✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️ न्याय और वैशेषिक दर्शन परस्पर सम्बद्ध है इसलिए इन्हें समान तन्त्र भी कहते हैं।इन दोनों में दो आधारों पर भेद किया जा सकता है- पदार्थ प्रमाण न्याय 16पदार्थ मानता है- प्रमाण,प्रमेय,संशय,प्रयोजन,दृष्टांत,सिद्धान्त,अवयव,तर्क,निर्णय,वाद, जल्प,वितण्डा, हेत्वाभास,च्छल, जाति, निग्रहस्थान।। जबकि वैशेषिक 7 ही पदार्थ मानता है- द्रव्य,गुण, कर्म,सामान्य,विशेष,समवाय,अभाव।। न्याय ,वैशेषिक के इन 7 पदार्थों का अंतर्भाव अपने प्रमेय नामक द्वितीय पदार्थ में कर देता है। न्याय 4 प्रमाण मानता है-प्रत्यक्ष,अनुमान,उपमान,शब्द जबकि वैशेषिक 2 ही प्रमाण मानता है-प्रत्यक्ष,अनुमान तथा शब्द और उपमान को अनुमान के अंतर्गत मानता है। _____________________________________________ प्रश्नोत्तरी ---------------------------------------- *प्रश्न )* *वैशेषिक दर्शन के प्रवर्तक कौन माने जाते हैं ?* (क) शंकराचार्य (ख) गौतम ऋषि (ग) कणाद/कणभुक/औलूक (घ) कपिल मुनि पिछले प्रश्न का उत्तर :- *कणाद/कणभुक/औलूक* ✔ ---------------------------------------- *प्रश्न...
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