कठोपनिषद

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कठोपनिषद:प्रथम अध्याय-प्रथम वल्ली
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कठोपनिषद कृष्ण यजुर्वेद की  कठ शाखा से सम्बन्धित है  जिसमे यम और नचिकेता के सम्वाद द्वारा ब्रह्मविद्या का सुंदर विवेचन किया गया  है |
नचिकेतोपाख्यान सर्वप्रथम तैत्तिरीय आरण्यक ब्राह्मण के ३.१.८ में प्राप्त होता है |

कठोपनिषद में 2 अध्याय हैं और प्रत्येक में  तीन तीन वल्लियाँ हैं|
प्रथम अध्याय में 71 मन्त्र हैं।
द्वितीय अध्याय में 48 मन्त्र हैं।
दोनों अध्यायों में कुल 119/120 मन्त्र हैं-
प्रथम अध्याय
प्रथम वल्ली 29
द्वितीय वल्ली 25
तृतीय वल्ली 17
            कुल-71 मन्त्र(प्रथम अध्याय)

द्वितीय अध्याय
प्रथम वल्ली 15
द्वितीय वल्ली 15
तृतीय वल्ली 18
           कुल -48 मन्त्र(द्वितीय अध्याय)

नचिकेता वाजश्रवस् का पुत्र है|
वाजश्रवस् ,वाजश्रवा के पुत्र थे इसीलिए वे वाजश्रवस् कहलाये |
वाजश्रवा को अरुण भी कहा गया है |
वाजश्रवा का अर्थ है जिसने वाज अर्थात अन्न का दान करने  से 'श्रव ' अर्थात यश को प्राप्त कर लिया है |

वाजश्रवा के पुत्र वाजश्रवस् थे। वाजश्रवस् को उद्दालक ,गौतम ,आरुणी,द्वायामुष्यायण  भी कहा जाता है |
वाजश्रवा का पुत्र होने के कारण वाजश्रवस्,और
उद्दालक
अरुण (वाजश्रवा का अन्य नाम अरुण)के पुत्र होने के कारण आरुणि
गौतम वंश में उत्पन्न होने के कारण गौतम
और द्वयामुष्यायण (जिसके दो पिता हों)भी बोलते हैं।
                वंशावली
 वाजश्रवा/अरुण(ये नचिकेता के पिता वाजश्रवस् के पिता थे)
                       |
                       |
 वाजश्रवस्/उद्दालक/आरुणि/गौतम/द्वयामुष्यायण(ये वाजश्रवा/अरुण के पुत्र तथा नचिकेता के पिता थे)
                       |
                       |
                    नचिकेता


वाजश्रवस ने विश्वजित नामक यज्ञ किया ,विश्वजित को ही सर्ववेदस और सर्वमेध कहा जाता है |
कठोपनिषद के प्रथम अध्याय की प्रथम वल्ली में यम को वैवस्वत कहा गया है।विवस्वतः अपत्यं पुमान् इति वैवस्वतं।यम को सूर्य पुत्र कहा गया है।

नचिकेता यम से तीन वर माँगता है |
प्रथम वर -पिता की प्रसन्नता
द्वितीय वर -अग्निविद्या का ज्ञान
तृतीय वर -मृत्यु पश्चात आत्मास्तित्व सम्बन्धी ज्ञान

कस्मै मां दास्यसीति,मुझको किसके लिए दोगे? यह नचिकेता बोलता है अपने पिता से।
मृत्यवे त्वा ददामीति,तुमको मृत्यु के लिए देता हूँ।यह उद्दालक बोलते है अपने पुत्र नचिकेता से।(मन्त्र 4)

सस्यमिव मर्त्य: पच्यते सस्यमिवा जायते अर्थात यह मरणशील मनुष्य तो अनाज की तरह पकता है और पुनः उत्पन्न होता है।(मंत्र6)यह नचिकेता बोलता है अपने पिता से।यहाँ मनुष्य की तुलना अनाज से की गई है।

वैश्वानर यम को बोला गया है।वैवस्वत(सूर्य) के पुत्र यम वैश्वानर।(मन्त्र 7)

नचिकेता यम के घर तीन रात्रियों तक प्रतीक्षा करता है तिस्त्रो रात्रिर्यदवात्सीगृहे मे अनश्न।(मन्त्र 9)

नचिकेता प्रथम वर में मांगता है कि मेरे पिता मेरे प्रति शांत संकल्प वाले ,प्रसन्नचित और क्रोधरहित हों,शांतसंकल्प:सुमना यथा स्याद्।(मन्त्र 10)

द्वितीय वर में स्वर्ग लोक प्राप्त कराने वाली अग्निविद्या का ज्ञान मांगता है।स त्वमग्निम् स्वर्गमध्येषि मृत्यो,एतद् द्वितीयेन वृणे वरेण(मन्त्र 13)
अग्निविद्या का ज्ञान मांगने से पूर्व वह मन्त्र 12 में स्वर्गलोक का वर्णन करता है।
स्वर्ग लोक में भय,मृत्यु,वृद्धावस्था,भूख और प्यास का अभाव बताया गया है।(मन्त्र12)

यम अग्निविद्या को अनन्त अर्थात अविनाशी लोक की प्राप्ति कराने वाली बताते हैं।अनन्तलोकाप्तिम् अग्निविद्या।(मंत्र 14)

यम नचिकेता को अग्निविद्या के बारे में ज्ञान वरदान करते हैं तदुपरांत नचिकेता उस ज्ञान को ज्यों का त्यों सुना देता है।फलतः प्रसन्न होकर यमराज एक अन्य वर देते हैं कि यह अग्नि तुम्हारे नाम से ही प्रसिद्ध होगी अर्थात नचिकेता अग्नि कहलायेगी, तथा यमराज नचिकेता को सृंका (अनेक रूपों वाली) नामक माला प्रदान करते हैं।तवैव नाम्ना भवितायमग्नि:,सृंकांचे मामनेकरूपां गृहाण।(मन्त्र 16)

त्रिणाचिकेत का अर्थ है नाचिकेत अग्नि का तीन बार अनुष्ठान करने वाला।(मन्त्र 17)

नचिकेता तीसरे वर के रूप में मृत्यु पश्चात आत्मा की सत्ता सम्बन्धी ज्ञान मांगता है।(मन्त्र 20)

नचिकेता द्वारा उक्त तीसरा वर सुनकर यम कहते हैं कि पहले इस विषय मे देवताओं के द्वारा भी संदेह किया गया था क्योंकि यह सूक्ष्म विषय है यह सरलता से जानने योग्य नही है,देवैरत्रापि विचिकित्सितमं पूरा,न हि सुज्ञेयमणुरेष धर्म:।।(मंत्र 21)
यम नचिकेता से तीसरे वरदान को छोड़कर कोई अन्य वर मांगने को कहते हैं ,अन्यं वरं नचिकेतो वृनीष्।(मंत्र 21)

तीसरे वर को छोड़कर यम नचिकेता से 100 वर्ष की आयु वाले  पुत्रों और पौत्रों (शतायुषः पुत्र पौत्रान्), बहुत से पशुओं ,हाथियों तथा सोने ,घोड़े(बहून पशून हस्ति हिरण्यमश्वआन्), धरती के विशाल घेरे (भूमेमहदायतनं) को मांगने का लालच देता है।(मंत्र 23)

यम नचिकेता से तृतीय वर के बदले धन और चिरकाल की जीविका मांगने को बोलते हैं।(वृनीश्व वित्तं चिरजीविकां च) (मंत्र 24)

यम नचिकेता से मनुष्यलोक में दुर्लभ समस्त अभीष्ट भोगों को मांगने के लिए कहते हैं।(ये ये कामा दुर्लभा मर्त्यलोके सर्वान् कामांश्छन्दत: प्रार्थयस्व)(मंत्र 25)
वे रथों वाद्यों सहित स्वर्ग की रमणियों को मांगने के लिए कहते हैं(इमा रामा: सरथा: सतूर्या )

नचिकेता यम द्वारा उक्त समस्त भौतिक सुखों की निंदा करता है और उन्हें मनुष्य की समस्त इन्द्रियों को नष्ट करने वाला बताता है।(मर्त्यस्य यदन्तकैत्,सर्वेन्द्रियाणा जरयन्ति तेजः)(मन्त्र26)

नचिकेता कहता है कि मनुष्य धन से तृप्त होने योग्य नही है(न वित्तेन तर्पणीयो मनुष्यो)(मन्त्र 27)

नचिकेता  कहता है कि मनुष्य  जीर्ण अर्थात वृद्ध होने के कारण मरणधर्मा है।(मन्त्र 28)

अंततः प्रथम अध्याय की प्रथम वल्ली के अंतिम मन्त्र में नचिकेता यम से पुनः मृत्यु पश्चात आत्मा की सत्ता सम्बन्धी ज्ञान मांगता है।(मन्त्र 29)

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कठोपनिषद:प्रश्नोत्तरी
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*प्रश्न सङ्ख्या 1*.) *आदि शंकराचार्य ने कुल कितने उपनिषदों पर भाष्य लिखा था ?*
(क) 108
(ख) *10* ✔
(ग) 12
(घ) 18

*प्रश्न सङ्ख्या 2*.) *नचिकेता के पिता कौन सा यज्ञ आयोजित करते है ?*
(क) अश्वमेध
(ख) *विश्वजित* ✔
(ग) सर्वकोष
(घ) पितृमेध

*प्रश्न सङ्ख्या 3*.) *बुद्धिमान व्यक्ति किसका वरण करता है ?*
(क) *श्रेय का* ✔
(ख) प्रेय का
(ग) कर्म का
(घ) भौतिक सुख का

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*प्रश्न सङ्ख्या 4*.) *नवकृत्वोपदेश करता है ?*
(क) *उद्दालक* ✔
(ख) इन्द्र
(ग) नारद
(घ) श्वेतकेतु

*प्रश्न सङ्ख्या 5*.) *कठोपनिषद में कुल कितनी वल्लियाँ हैं ?*
(क) 4
(ख) *6* ✔
(ग) 7
(घ) 5

*प्रश्न सङ्ख्या 6*.) *प्रथम अध्याय की प्रथम वल्ली में कितने मन्त्र हैं ?*
(क) *29* ✔
(ख) 30
(ग) 17
(घ) 27

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*प्रश्न सङ्ख्या 7*.) *रथरूपक का वर्णन किस उपनिषद में है ?*
(क) जैमिनीय
(ख) *कठ* ✔
(ग) ईशोपनिषद
(घ) तैत्तरीय

*प्रश्न सङ्ख्या 8*.) *कठोपनिषद यजुर्वेद की किस  शाखा से सम्बंधित है ?*
(क) मैत्रायणी
(ख) काण्व
(ग) वाजसनेयी
(घ) *कठ* ✔

*प्रश्न सङ्ख्या 9*.) *प्रथम अध्याय में कुल कितने मन्त्र हैं ?*
(क) 72
(ख) *71* ✔
(ग) 77
(घ) 76

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*प्रश्न सङ्ख्या 10*.) *कठोपनिषद में सृंका का क्या अर्थ है ?*
(क) प्रवालजटीतमला
(ख) *अकुत्सितकर्ममयी गति* ✔
(ग) रुद्राक्षमाला
(घ) तुलसीमाला

*प्रश्न सङ्ख्या 11*.) *कठोपनिषद के अनुसार मानव शरीर मे कुल कितने द्वार हैं ?*
(क) 18
(ख) *11* ✔
(ग) 12
(घ) 17

*प्रश्न सङ्ख्या 12*.) *कठोपनिषद के अनुसार आत्मा किस प्रकार से प्राप्तव्य है ?*
(क) *परमेश्वर के अनुग्रह द्वारा* ✔
(ख) ध्यान
(ग) प्रवचन
(घ) समाधि

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*प्रश्न सङ्ख्या 13*.) *द्वितीय अध्याय की द्वितीय वल्ली में कितने मन्त्र हैं ?*
(क) 17
(ख) 18
(ग) 16
(घ) *15* ✔

*प्रश्न सङ्ख्या 14*.) *किस वर में नचिकेता यम से अग्निविद्या का वर मांगता है ?*
(क) प्रथम
(ख) तृतीय
(ग) चतुर्थ
(घ) *द्वितीय* ✔

*प्रश्न सङ्ख्या 15*.) *मन से अधिक गति वाला कौन है ?*
(क) अग्नि
(ख) *परमेश्वर* ✔
(ग) देवता
(घ) वायु

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*प्रश्न सङ्ख्या 16*.) *महत्तत्व से श्रेष्ठ कौन है ?*
(क) बुद्धि
(ख) चित्त
(ग) मन
(घ) *आत्मा* ✔

*प्रश्न सङ्ख्या 17*.) *एतेषु सारथी: कः उच्यते ?*
(क) आत्मा
(ख) मन
(ग) *बुद्धि* ✔
(घ) शरीर

*प्रश्न सङ्ख्या 18*.) *द्वितीय अध्याय में कुल कितने मन्त्र हैं ?*
(क) 47
(ख) 49
(ग) 46
(घ) *48* ✔

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*प्रश्न सङ्ख्या 19*.) *सर्वप्रथम यम नचिकेता की कथा कहाँ मिलती है ?*
(क) यजुर्वेद में
(ख) तैत्तरीय आरण्यक में
(ग) *तैत्तरीय ब्राह्मण में* ✔
(घ) तैत्रीयोपनिषद में

*प्रश्न सङ्ख्या 20*.) *कठोपनिषद के अनुसार प्राणों सहित कौन उत्पन्न होती ?*
(क) बुद्धि
(ख) अदिति
(ग) मन
(घ) *आत्मा* ✔

*प्रश्न सङ्ख्या 21*.) *कठोपनिषद में कुल कितने अध्याय हैं ?*
(क) *2* ✔
(ख) 3
(ग) 6
(घ) 4

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*प्रश्न सङ्ख्या 22*.) *कठोपनिषद में कुल कितने मन्त्र हैं ?*
(क) 116-120
(ख) *119-120* ✔
(ग) 118-119
(घ) 117-119

*प्रश्न सङ्ख्या 23*.) *यज्ञ विद्या का अन्य नाम क्या है ?*
(क) धनुर्विद्या
(ख) आध्यात्मिक ज्ञान
(ग) यजुर्विद्या
(घ) *अग्नि विद्या* ✔

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💐 पृष्ठ संकलन💐

1- कठोपनिषद प्रथम अध्याय, प्रथम वल्ली में 29 मन्त्र हैं l
2- विश्वजित नामक एक महान यज्ञ किया -उद्दालक ऋषि ने
3- उद्दालक ऋषि के पुत्र का नाम है - नचिकेता
4- सर्वप्रथम यम, नचिकेता कथा तैत्तरीय ब्राह्मण में मिलती है
5- यज्ञ विद्या का अन्य नाम अग्नि विद्या है
 *मुकेश अग्निहोत्री इटावा*

1 -कठोपनिषद् का सम्बन्ध किस वेद से है - कृष्ण यजुर्वेद से
2- यमराज ने नचिकेता को मृत्युविधा कैसी वतायी - न सुविज्ञेय
3- उदालक ऋषि ने कौन सा यज्ञ किया ? - विश्वजित्
4- यमराज की पत्नी ने नचिकेता के स्वागत के लिए क्या लाने को कहा?-- जल
5- ब्राहाण अतिथि गृहस्थ के घर मे किस रूप मे प्रवेश करता है ? -- वैश्ववानर रूप मे
*छाया गुप्ता चंदौसी*


     1) नचिकेता ने श्रेयमार्ग का अनुसरण किया।
2) रथ को चलाने वाला सारथि बुद्धि है।
3) इन्द्रियाँ ही रथ के घोड़े हैं।
4) इन्द्रियरूपी घोड़ों को वश में करने के लिए मन को लगाम रूप में स्वीकार किया गया है।
5) श्रेय मार्ग का सारथी विवेकी होता है।
6) प्रेयमार्ग का सारथी प्रमादी होता है ।
7) वाणी को मन में , मन को बुद्धि में ,बुद्धि को महत् तत्त्व में , और महत् तत्त्व को परमात्मतत्व में समाहित करना पड़ता है।
*संध्या मौर्या अम्बेडकरनगर*

१- कृष्ण यजुर्वेद की तैत्तिरीय मैत्रायणी कठ एवम कपिष्ठल ये ४ शाखायें हैं ।
२- कठ शाखा से सम्बद्ध कृष्ण यजुर्वेदी उपनिषद ही कठोपनिषद के नाम से प्रसिद्ध है ।
३- इस उपनिषद में अग्नि विद्या या यज्ञ विद्या का वर्णन है ।
४- इसमें वेदी के लिये अपेक्षित ईटों की सँख्या आकार एवं चयन प्रकार आदि का वर्णन है ।
५- इस उपनिषद का मुख्य वर्ण्य विषय आत्मज्ञान का चिन्तन है ।
*प्रीतिका सिंह प्रतापगढ़*

१-नचिकेता के पिता वाजश्रवस् ने कौन-सा यज्ञ किया- सर्वमेध या विश्वजित अथवा सर्ववेदस् यज्
२-वाजश्रवस् के अन्य नाम हैं-उद्दालक,आरुणि,औद्दालकि,
द्वयामुष्यायण, और गौतम ये सभी
३-त्रिविध ताप हैं- आध्यात्मिक ताप,आधिदैविक ताप और आधिभौतिक ताप
४- सभी भूतों का साक्षी है-आत्मा
५-यम ने नचिकेता को कितने वर दिये- चार वर(3 नचिकेता को तीन रात्रि प्रतीक्षा के कारण,और एक नचिकेता की स्मरण शक्ति से प्रसन्न होकर।इस एक अतिरिक्त वर का वर्णन मन्त्र 16 में है)
*विनीता बदायूँ*

१-  श्रेय:क: वृणीते-    धीरोभि:
२-अरोरणीयान् महतो महीयान् मे वर्णन है-आत्मा का
३-मत्वा धीरो हर्षशोको जहाति किस वल्ली का मन्त्र है-२
४-पितृपरितोष कौन सा वर है-प्रथम:
५-स्व: स्वर्गस्थै: गीयते स्वर्ग: मे स्वर्ग का अर्थ हैं- मोक्ष
६-नचिकेता के नाम पर किसका नामकरण हुआ-अग्नि
*डॉ स्वेजा त्रिपाठी देवरिया*


1:- अणो: अणीयान् महत: महीयान् क: - आत्मतत्व:

2:-  क: आसीन: दूरं व्रजति, शयान: सर्वत: याति - आत्मतत्व:

3:- प्रवचनेन मेधया श्रुतेन कं न प्राप्नोति - आत्मतत्व:

4:- स्वर्ग्यम् अग्निं प्रजानन् कस्य प्रति प्रब्रवीमि - नचिकेतया प्रति

5:- त्वम् स्वर्ग्यम् अग्निं अध्येषि कस्य कथन: - नचिकेता
*ऋषि कपूर चंदौली*


1कठोपनिषद में कुल कितने मंत्र है....119

2प्रथम अध्याय में 29+25+17= 71 मंत्र

3द्वितीय अध्याय में 15+15+18=48 मंत्र

5कठोपनिषद के किस अध्याय में रथ रूपक का विवेचन हुआ है.......प्रथम अध्याय तृतीय वल्ली में।

5वैश्वानरः प्रविशत्यतिथिर्ब्रह्मणो ग्रहान्....
किसने कहा?.......
यम पत्नी ने

6कठोपनिषद के अनुसार अग्नि के पिता का नाम क्या है...?
विश्वानर है।

 7वीतमन्यु: में समास कौन सा होगा..?
बहुब्रीहि।
*हरिओम गुप्ता चित्रकूट*




Comments

  1. 😊🙏💐💐💐 धन्यवाद

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  2. स्वागतम् 👍😊💐

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  3. धन्यवाद मैम

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  4. बहुत ही अच्छा प्रयास है श्रीमान् जी

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  5. संस्कृत के लिए आपका प्रयास अतुलनीय है जैसा आप संस्कृत जगत में कर रही हैं

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  6. अति महत्वपूर्ण जानकारी
    मुझे कृष्णयजुर्वेदीय उपनिषदों कठ,तैत्तिरीय, मैत्रायणी, शवेताशवेतरो,की दार्शनिक तत्वों के विषय में विस्तार से बताए गुरु जी

    ReplyDelete

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